वो बचपन याद आता है!
वो बचपन याद आता है!


वो बचपन याद आता है, वो बचपन याद आता है।
वो आंगन याद आता है, वो सावन याद आता है।
वो कितने बेपरवाह थे हम, नहीं था हमको किसी का भी ग़म।
बड़ों का प्यार अपनापन परायों का भी अपनापन
वो जमाना दूर चला गया हमसे। वो मिलना वो हँसना
और हँसाना-अपनी सहेलियों के संग संग।
सपनों की सी थी, वो प्यारी दुनिया मेरी ,मिलना और
मिलाना सबसे था।
पराये और अपने भी थे सभी सगे- संबंध।
जमाना था वो कितना सीधा -साधा, ना थे रिश्ते मतलब के न था
अपनों में कभी परायापन।
वो लगता सारा जग हो अपना सा, वो मीठी सी धूप सर्दियों की,
वो ठंडी छांव गर्मियों की, वो बारिश की नाचती सी बूँदें,
बरसना उनका आँगन में थिरकता था मानो जैसे अंग -अंग।
वो मौसम याद आते हैं, वो बचपन याद आता है।
ज़माना याद आता है, मेरा गुज़रा ज़माना याद आता है।
वो बचपन याद आता है, वो बचपन याद आता है।