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Hem Raj

Others

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विश्व पर्यावरण

विश्व पर्यावरण

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आ देख तो आजू - बाजू में सखी !

विश्व पर्यावरण आज अकुलाता है।

जर्जर हालत को देख वह अपनी,

खूबसूरती बताने से सकुचाता है।

         छीन ली हरियाली ,इसकी लोगों ने,

         जमी पे, गैर जरूरी भवन बनाता है।

         भू माफिया, कहीं प्लास्टिकी कचड़ा ,

         कहीं कारखानों का मवाद बहता है।

नदी - नालों में फेंक के घरों की गन्दगी,

कर जल को गन्दा, बाढ़ों तक को लाता है।

 फैलाकर आसमान में बस धुआँ ही धुआँ,

 हवा बिगाड़, अपनी तरक्की पर इठलाता है।

         चहुं ओर फैलाकर विचित्र सा शोरगुल,

          कर खण्डित शान्ति, बेचैनी फैलता है।

          चुपके से जैविक हथियार बनाकर के,

          दुनिया में शैतानों सी तबाही मचाता है।

भोले मानव मन को विकृत कर के,

ड्रग माफिया जग को नशे में डूबता है।

मानवता का कटर विरोधी विद्रुप कोई,

समूची, धरती पर ,आतंक ही मचाता है।

          इन जाल साजियों और धृष्टता के चलते,

          दुनिया में, कोरोना सा रोग भी आता है।

           न जाने यह दुनिया का मानव समुदाय,

           कुदरत से, खिलवाड़ काहे कर जाता है?

खतरे में न पड़ जाए धरती ही सारी कहीं?

विश्व का पर्यावरण, ऐसा ही कुछ जताता है।

यह भयानक बम्बों - बारूदों का जखीरा,

रामायण - महाभारत ही कब से करवाता है।

          इंसानी फितरत , सब भूल है जाती,

           फिर भी हथियार नए नित बनाता है।

           बच जाए श्रृष्टि विनाश से अब कैसे?

          कोई उपाए, नजर ही आज न आता है।


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