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विजय दशमी.....

विजय दशमी.....

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आज एक बार फिर से सदियों से चल रही प्रथा निभाएगें

राम रावण का युद्ध करवा कर रावण का पुतला जलाएगें

बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाएगें

पर क्या सच मे बुराई का रावण मार पाएगें

क्या सच मे आज की सीता का मान बचा पाएगें

क्या सच मे भाई भाई मे प्रेम जगा पाएगें

क्या रिश्तों को कंलकित होने से बचा पाएगें

क्या सच मे कुल की मर्यादा बनाए रख पाएगें

सवाल यही है सत्य की वनवास यात्रा को रोक पाएगें

या फिर अंदर जो बैठा है बुराई का रावण उसको जला पाएगें

या देखेगें तमाशा रावण दहन का और जश्न मनाएगें

जब तक ये कलयुग का रावण नही मरेगा

राम रावण के युद्ध का अभिनय निरंतर चलेगा

सीता की अस्मत को तार तार किया जाएगा

इंसान के व्यक्तित्व पर ही कलंक लग जाएगा

बुराई रूपी रावण का स्वरुप लगातार बढ़ता जाएगा

अब न कोई राम का अवतार लेगा

न ही कोई रावण का वध करेगा

सत्य तो अब वनवास जा ही चुका है

झूठ का अंधियारा चारों ओर छा चुका है

सत्य की लौ को अब जलाना होगा

अंदर बैठे रावण को मिटाना होगा

चारों ओर खुशीयों को फैलाना होगा

तब जाके सफल विजय दशमी का पर्व मनाना होगा........



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