विधाता की भूल
विधाता की भूल
जब ईश्वर ने पुरूष को बनाया होगा
शायद ये विचार भी मन में ना आया होगा।
जननी बन जीवन को अंकुरित किया जिसने
पुरुष ने उसी जननी को लजाया होगा।
बहन बेटियां साझी होती हैं, फिर किसी बेटी की अस्मिता लूट
ये कापुरुष क्या बिल्कुल शरमाया ना होगा।
जब ईश्वर ने पुरुष को बनाया होगा
शायद यह विचार भी मन में आया ना होगा।
माँ का दूध बना था जीवनामृत तब
फिर किसी माँ को देख ,क्यों वासना का विचार आया होगा।
जब ईश्वर ने पुरुष को बनाया होगा
शायद यह विचार भी मन में ना आया होगा।
माँ की ममता,बहन का दुलार ,कोई भी पुरुष को दु:शासन बनने से ना रोक पाया होगा।
जब ईश्वर ने पुरुष को बनाया होगा ।
शायद यह विचार भी मन में ना आया होगा|
पशु बनते देख पुरुष को ,विधाता भी अपनी रचना पर पछताया होगा।