वहम !
वहम !
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सुनो तुम चुप-चुप
सी ना रहा करो
मुझे वहम सा हो
जाता है
कहीं तुम ख़फ़ा तो
नहीं हो मुझे ये वहम
सा हो जाता है
मुझे तुम सदा
चहकती हुई ही
अच्छी लगती हो
तुम मुझे यूँ ही
डाँटती डपटती ही
अच्छी लगती हो
कभी मज़ाक में तो
कभी शरारत में ही
मगर तुम मुझे बस
हँसती हुई ही अच्छी
लगती हो
सुनो चुप-चुप सी
ना रहा करो मुझे
वहम सा हो जाता है !