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वफ़ा और बेवफ़ा

वफ़ा और बेवफ़ा

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मकसद एक ही है

मारना और मरना ही है

खरबूजा छुरी पर गीरे

या छुरी खरबूजे पर गीरे।

 

वफ़ा और बेवफा

बस नहीं कोई समझौता

एक ही सिक्के के दो पहलू

ना हो उसमे मर लु या मार लु।

 

कई बार हम वजह बन जाते हैं

प्यार के गलत मतलब निकाले जाते हैं

कोई कहे "औरत एक खिलौना है"

उसके साथ प्रेम एक आंखमिचौना है।

 

भले ही हम बेवफ़ा होने की वजह बन जाए

हमारे चर्चे चौरा और चौटा में हो जाए

हम उसको कभी लक्ष्य में नहीं लेंगे

शायद सोचने में वो सही होंगे।

 

हमने किया प्यार सही जानकर

पर वो निकले बड़े अदाकार

हमारा उनसे मेल नहीं खाया

बस फिर तो हमने खता ही खाया। 

 

शिकार करने निकले थे

शिकार खुद हो गए

अब हमें पछतावा होने से क्या फायदा?

वो तो मुकर ही गए ना कर के वादा।    


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