:उफ्फ़ ये गर्मी :=
:उफ्फ़ ये गर्मी :=
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तवे सी तप गयी धरा और आसमान भी गर्मा गया,
ए सखी!सर्दी गयी भीषण गर्मी का मौसम आ गया,
परिवर्तन होगा अब खानपान में अलग होगी दिनचर्या,
हिमक्रीम,फलरस,शिकंजी और पिएंगे ठंडा जलजीरा।।
अब सुबह शाम ही देख पाएंगे कुदरत का नज़ारा,
तपती दुपहरी में तो वातानुकूल में लम्बी तान सोना,
गर्मी की छुट्टियों में पीहर जाने का भी मन नहीं करेगा,
क्योंकि जोधपुर में तापमान पचास डिग्री से ज्यादा होगा।।
छत पर सोना,चाँद तारों से बतियाना अब याद आएगा,
शीतल पेय व छोटा पानी का मटका छत पर ले जाना,
भूत प्रेतों की बातें कर,डर से अकेले शौचालय ना जाना,
बहुत याद आएगा वो पीहर में सारी सारी रात जागना।।
हाय गर्मी,उफ्फ़ गर्मी करके प्रकृति पर दोषारोपण मत करना,
विनाश तुम्हारा किया धरा परिणाम भी तुम्हीं भुगतना,
प्राकृतिक सम्पदा को नष्ट कर भूमण्डलीय तापमान बढ़ाया,
जिसका अतीव प्रतिकूल प्रभाव मौसमों व ऋतुओं पर पड़ा।