उड़ान
उड़ान
1 min
524
नभ में फैला अपने पर
भरते उड़ान अपनी
झुंडों के झुंड पक्षियों के
कहाँ उड़ गये
नजर नहीं आते
वो पक्षियों का उड़ना
वी का धर आकार
बढ़ते रहना लक्ष्य पर
अब नजर नहीं आता
घर की छत पर
दिखते हर रोज
झुंडों के वे अनेकों रूप
अब दिखते नहीं
युग बदला, विचार बदले
अनेकों पीढ़ियों का परिवार टूट गया
परिवार एकाकी
मनुष्यों में, परिंदों में भी
