उदास लड़कियाँ
उदास लड़कियाँ
उदास लड़कियाँ
नहीं कहतीं किसी से-
अपनी उदासी का सबब
करतीं इसरार नहीं
अम्मा से, भैय्या से
होती न बतकही
छुटकी गौरैय्या से
तितलियों के पीछे भी
भागतीं नहीं जब तब
निर्दय, नृशंस
समय की दस्तक!
उदास लड़कियाँ
नहीं कहतीं किसी से-
अपनी उदासी का सबब
टोली बच्चों की
जो गलियों में
करती है शोर;
कडक्को, पकड़म पकड़ाई
खो- खो,
पतंगों की
कटती हुई डोर,
पी लेतीं आँखें
मासूम बदहवासी को
उदास लड़कियाँ
जताती नहीं
अपनी उदासी को
बदल देती है
सब कुछ -
भरती हुई देह
बढ़ती पाबंदियां
ढलता हुआ नेह
चुभती लम्पट नजरें
मुंह चिढ़ाते आईने
बदल जाते हैं
स्नेहिल स्पर्शों
के मायने
कुंहासी संझा की
परछाइयों में
उलझ- उलझ
उदास लड़कियाँ
नहीं कहतीं किसी से-
अपनी उदासी का सबब
क्योंकि वे बच्चियां नहीं
कुछ और हैं अब!
