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Vinita Shukla

Others

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Vinita Shukla

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उदास लड़कियाँ

उदास लड़कियाँ

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उदास लड़कियाँ

नहीं कहतीं किसी से-

अपनी उदासी का सबब

करतीं इसरार नहीं

अम्मा से, भैय्या से

होती न बतकही

छुटकी गौरैय्या से

तितलियों के पीछे भी

भागतीं नहीं जब तब

निर्दय, नृशंस

समय की दस्तक!

उदास लड़कियाँ

नहीं कहतीं किसी से-

अपनी उदासी का सबब

टोली बच्चों की

जो गलियों में

करती है शोर;

कडक्को, पकड़म पकड़ाई

खो- खो,

पतंगों की

कटती हुई डोर,

पी लेतीं आँखें

मासूम बदहवासी को

उदास लड़कियाँ

जताती नहीं

अपनी उदासी को

बदल देती है

सब कुछ -

भरती हुई देह

बढ़ती पाबंदियां

ढलता हुआ नेह

चुभती लम्पट नजरें

मुंह चिढ़ाते आईने 

बदल जाते हैं

स्नेहिल स्पर्शों

के मायने

कुंहासी संझा की

परछाइयों में

उलझ- उलझ

उदास लड़कियाँ

नहीं कहतीं किसी से-

अपनी उदासी का सबब

क्योंकि वे बच्चियां नहीं

कुछ और हैं अब!



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