तुम्हारे जैसा प्रेम
तुम्हारे जैसा प्रेम
तुम्हारे जैसा प्रेम कहाँ से पाऊँ
ओ माँ, तूने मुझे शून्य से बड़ा किया
लड़खड़ाती थी, मुझे मेरे पैरों पे खड़ा किया
आज जिंदगी की धूप मुझे सताती है
सर छुपाने को तेरे आँचल की छाँव
कहाँ से लाऊँ
तुम्हारे जैसा प्रेम कहाँ से पाऊँ
ओ पिता, तुमने मेरे पैरों तले
अपनी हथेलियां बिछा दी
मेरे जीवन के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी
आपके साथ बेफिक्री का जीवन जिया
अब दुनिया की इस भीड़ में
आपका वो संबल कहाँ ढूंढने जाऊँ
तुम्हारे जैसा प्रेम कहाँ से पाऊँ
मेरी आह भी तुमको चुभती थी
मेरी कराह भी तुमको दुखती थी
अब मेरे घाव भी नजरंदाज है
मेरी कराह कहाँ निकलती आज है
तुमसे दूर होकर दर्द ने मुझसे नाता जोड़ा है
अब इस दर्द संग मैं कैसे कदम बढ़ाऊँ
तुम्हारे जैसा प्रेम कहाँ से पाऊँ।