सूर्योदय
सूर्योदय
चीरकर हर दिन निशा के गहन अंधकार को,
एक नई उम्मीद प्रदान करता इस संसार को,
अपने अनगिनत स्वर्ण किरणों को बिखेरकर,
अद्भुत शोभा से भर देता है प्रकृति श्रृंगार को,
सिंदूरी लालिमा जब छा जाए चहूँ ओर जग में,
मनमोहक सी छवि बस जाती है सबके मन में,
सूर्योदय का ये अनुपम और अद्भुत सौंदर्य ही,
एक नई ऊर्जा का संचार करे हमारे जीवन में,
जैसे-जैसे बढ़े क्षितिज पर सूर्य का तेज़ प्रकाश,
प्रकृति के अधरों पर दिखे मुस्कान का उल्लास,
वृक्ष, लताएं, पुष्प, पौधे सभी प्रफुल्लित होकर,
सूर्यदेव के आगमन को और भी बना देती खास,
मंद-मंद बहती पवन और पंछियों का मधुर गान,
नवजीवन का हुआ आग़ाज़, रोशन हुआ जहान,
स्वर्ण लताओं सी आसमान में बिखरी हैं किरणें,
सूर्योदय इस सौंदर्य का सम्पूर्ण जग करे गुणगान,
गांँव-गांँव, शहर-शहर हर गली में बिखरी किरणें,
जल स्रोत पर झिलमिल-झिलमिल करती किरणें,
ये स्वर्णिम सौंदर्य देख मंत्रमुग्ध होता मन और भी,
जब पर्वतों के शिखर को हौले से छू जाती किरणें,
पूरब से निकले जब सूरज सतरंगी छटा बिखेरकर,
असीम शांति का अनुभव होता ये नज़ारा देखकर,
दिनचर्या की सुनहरी शुरुआत का बजता है बिगुल,
सूर्योदय के अद्भुत नूतन किरणों से आनंदित होकर,
एक नया जोश जगे मन में उगते सूर्य को नमन कर,
फिर नवीन कांति लिए जीवन बढ़ता है कर्म पथ पर,
उगता हुआ सूरज एक प्रेरणा है, एक नई उम्मीद का,
सदैव सिखाता मत बैठना कभी मुश्किलों से हारकर।
