सर्द रातें
सर्द रातें
हाड़ कपा देने वाली ठंड वाली वो सर्द रातें ,
और वो ठंड की ठिठुरन वाली सर्द रातें!
जब सारा कोई ठंड के मारे अपने -अपने
घरों में रज़ाई में दुबक कर सो रहे होते हैं !
उसी वक़्त सड़क के किनारे एक लड़का,
ठंड से बचने के लिए जुगत लगा रहा होता है !
एक बुढ़िया माँ इस सर्द रात की चुभती सर्द हवाओं से
बचने के लिये कड़ी मस्सकत कर रही होती है!
एक बुजुर्ग काका जी अपनी फटेहाल चादर को
बढ़ाकर बड़ा करते हुए प्रतीत होते हैं,
ताकि सिर से पैर तक खुद को उसमें समेटकर,
इस कंपकपाती ठिठुरन वाली सर्द रात से खुद को बचा सकें!
हाँ! ये सब उसी वक्त हो रहा होता है!
जब हम उन सर्द रातों में खुद को सुरक्षित स्थानों में
पाते हुए चैन- से सो रहे होतें हैं!
हाड़ कंपा देने वाली ठंड वाली वो सर्द रातें !
वो ठण्ड की ठिठुरन वाली सर्द रातें !
जब हम ठण्ड से बचने के लिये चैन से सो रहे होते हैं,
उसी समय कुछ लोग ठंड से बचने की कोशिश में चीख पड़ते हैं!
सिवाय इसके उनके पास कोई चारा नही होता!
नहीं कोई चादर जिसमें वे खुद को वे समेट सकें !
वे सर्द रातें ---