श्राद्ध
श्राद्ध
श्राद्ध तो मन की श्रद्धा है
जो
हम अपने पुरखों के
लिए करते हैं।
पुरखे ये नही कहते
हमें श्राद्ध कर
हमें तारो।
हमें मुक्ति मिलेगी।
क्या दिखावे के
रंग से सजी है
श्राद्ध की परम्परा।
ऐसा श्राद्ध क्या?
कि
हाथ फैलाने
कर्जदार
बनाने को
मज़बूर कर दे। क्या हम
आर्थिक तंगी
से जूझते हुए
श्राद्ध का रिवाज दिखाने
के लिए करें।
या
खुद का ही तर्पण
करने को
बेबस, लाचार हो।
सच में क्या
पुरखों का उद्धार होगा
क्या इससे उनकी
आत्मा को
मोक्ष मिलेगा।
ऐसा श्राद्ध क्या?
जिन पितरों को
जीते जी नसीब
न हुई
दो वक़्त की रोटी।
क्या मरने पर
दिखावे के लिए
किया श्राद्ध।
क्या आत्मा तृप्त
होगी उनकी?
