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Vinod Kumar Mishra

Others

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Vinod Kumar Mishra

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सच्ची प्रीति

सच्ची प्रीति

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कोई पीता शराब कोई जीता शराब

कोई लेता हिसाब कोई देता हिसाब

कोई बोतल से बोतल का देता जवाब

कोई मस्ती मेंं करता पूरी बस्ती खराब।


कोई गाता शराब कोई बकता शराब

कोई हँसता शराब कोई रोता शराब

कोई जगता शराब कोई सोता शराब

कोई अपनी प्रिया के सजाता है ख्वाब।


जिसकी मस्ती में देता नर कश्ती को शबाब

फीकी पड़ती है फिर लाखों बोतल शराब

ऐसी लिखता रहे वह जीवन भर किताब

मिल जाये जगत में जिसे सच्ची प्रीति जनाब।


बोतल नशे में भरी जिसमें मचले शराब

तोड़कर फेंक देता ऐसी बोतल जनाब

फर्ज वीनू का रिश्ता यूँ ही चढ़ता शबाब

कोई पीता शराब कोई जीता शराब।


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