साज बजाने दो
साज बजाने दो
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मुझे दर्द के साज बजाने दो
मुझे गीत विरह के गाने दो
ग़म से गले तक भरा हूं
अश्कों को बह जाने दो
मेरी प्रीत अभागन हो गई
मेरी हार सुहागन हो गई
ग़म की गलियों में खोया हूँ
मेरी मंजिल कहीं पर खो गई
मैं गाता हूं, मुझे गाने दो
मेरी सांसे मुझसे छूट गई
मेरी सजनी मुझसे रूठ गई
मैं पागल न हो जाऊँ कहीं
मेरे मंदिर की मूरत टूट गई
दुनियां मुझको न ताने दो
मुझे दर्द के साज बजाने दो।