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ViSe 🌈

Others

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रजनी

रजनी

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बही महि पर रक्त की धारा , 

टूटा पलाश का फूल ,

उदय हुआ उस ललित निर्झर से ,

श्वेत वर्णित रसूल। 


पीताम्बर सारंग प्रफुल्लित हो , 

क्रीड़ा करें अपार,

आरग्वध की छटा सुशोभित हो ,

दिखे निर्विकार,

सलमे सितारे सब जग तक के ,

सजे अँधेरी साड़ी में ,            

रात की रानी इत्र लगाए ,

गीत गए जवानी के, 

सप्तपर्णी शीत में ढककर ,

बंसी बजाये अनमोल,

जब आमले के वृक्ष तले ,

मैंने जलाया दीप विभोर,

चिड़िया गावे गीत शयन के 

शीतल जैसे भोर। 


दूर कहीं एक बीहड़ में 

धुरी उड़ती जाती है ,

चंचल धेनु अपने घर 

की और भागी जाती है ,

जब तक स्वांस बेस हुए हैं 

जग की महकी प्याली में ,

तब तक मेरे दीपक जल तू 

विकीर्ण हो खुशहाली में

विकीर्ण हो खुशहली में। 



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