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रिश्ते की डोर

रिश्ते की डोर

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नयी मित्रता की ओर बढ़ रहे हैं

फेसबुक के पन्नों में

नये दोस्त ढूंढ रहे हैं

प्रकृति का नियम ही है

बदलना

और आगे चलना

कभी भी इस जीवन में किसी से पीछे नहीं रहना

प्रतिस्पर्धा नहीं तो कुछ नहीं

सफलता नहीं तो कुछ भी नहीं

विचारों से जब मेल खाता है

लेखनी जब अच्छी लगती है

ह्रदय के तार बजने लगते हैं

नयी रागनी कोई पुनः पनपती है

एक से दो ....दो से चार

मित्रों का कारवाँ बनता चला

और पीछे रह गये रिश्तों के काफ़िले !!

हम भले ही आज भटकें

रास्ते को छोड़ के दिल दुखे तो क्या हुआ

उस दिशा से मोड़ के चल दिए हैं आज हम नव युग बनाने

और पीछे रह गया मौसम सुहाना

हो रहा एहसास

याद उनकी आ पड़ी हम न भूलेंगे कभी

डोर रिश्तों की लड़ी !!


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