रेप
रेप
मैं फिर द्रौपदी बन जाउंगी
कान्हा हमारा ये पावन रिश्ता, इतिहास में दर्ज करना जरूर
मैं जब भी धरती पर आऊ,
तुम मित्र बन कर आना जरूर
जैसे तुमने द्वापारयुग में,
मुझे सौ भेड़ियों से बचाया था
वचन दो तुम हर युग में मेरी जान बचाओगे
मैं एक बार पुकारूंगी, और तुम अवतरित हो जाओगे
तुमने साथ जो मेरा छोड़ा अगर, मेरा चीर हरण हो जाएगा
मैं राह चलते डरूंगी, कोई जिस्म मेरा नोच खाएगा
ना कोई मेरी चीख सुनेगा, ना भाई शस्त्र रख पाएगा
एक नारी का तमाशा देखने, जग खड़ा हो जाएगा
कोई बेशर्म होकर देखेगा, कोई शर्म से सर झुकाएगा
जब कोई नीच फिर से मुझे, अपनी जांघ पर बैठाएगा
मैं तड़पती रहूंगी मगर वो मेरी, रूह तार तार कर जाएगा
लाखो इंसान भेड़िए हो जाएंगे, तब वो कलयुग कहलाएगा
कान्हा, उस वक़्त आना जरूर, वरना मैं जिंदा लाश हो जाऊंगी
उन दरिंदो के बीच अकेली, मैं फिर द्रौपदी बन जाऊंगी
