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Sneha Srivastava

Others

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Sneha Srivastava

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रचनात्मकता

रचनात्मकता

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रचनात्मकता होड़ नहीं करती

ये खामोशियों में पलती है शोर नहीं करती

कल्पना के सबके अपने -अपने आयाम हैं

नये -नये रंगों में, चाहतों के अनुरूप है ढलती

रचनात्मकता होड़ नहीं करती।

अपनी सोच से आकाश को मुट्ठी में है भरती

रगों में खून सभी के है बस ये संचार नये करती

तनहाइयों में अंगड़ाइयाँ लेती है, और भीड़ में है सोती

रचनात्मकता होड़ नहीं करती।


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