राजभाषा
राजभाषा


आओ अपनी राजभाषा का राज तिलक करें
इसे हम सुशोभित करें
अपनी संकीर्णताओंं को भूल
आज इसे प्रतिष्ठित करें।
संकल्प ले इस में प्रवीण होने का,
अपने कार्यालय की राजभाषा बनाने का।
स्वर और व्यंजन की वर्णमाला पहने
देखो दस्तक दे रही तुम्हारे दर पर।
स्वर,अनुुस्वार ,विसर्ग, अनुनासिका की
मात्राओं और चिह्न से,
व्यंजन भाषा के अनमोल शब्द बनाते,
एक बार हो जाए अगर इनका ज्ञान
आप लिखने में सक्षम हो जाते।
सीधी-सीधी सरल- सी
जैसा उच्चारण वैसे ही लिखी जाती
फिर भी दुनिया की भाषाओं में अपरिचित-सी,
एक वैज्ञानिक भाषा फिर भी न जानेे क्यों...
वैज्ञानिक इस से कतराते।
<
p>
जब दूसरे शब्दों ने इस में परिवेश किया
तो इसने उन्हें भी सम्मानित किया।
अर्द्ध अक्षरोंं को प्रथम स्थान देते
पूर्ण अक्षर स्वयं उनके चरणों में
विराजमान रहते।
भाषा तो है ही अलंकारोंं से परिपूर्ण
पर इस के वर्ण भी करते एक दूसरे को
अलंंकरित।
क्ष,त्र,ज्ञ,श्र लगते ही नहीं संयुक्त
इस तरह समाहित हैं एक दूसरे वर्ण में।
फिर भी कतराते हम नमस्ते कहते हुए
क्योंकि नम् होकर होती है नमस्ते।
हिन्द की हिन्दी करती है आप का धन्यवाद
जो कुछ वैज्ञानिक एकत्र हो कर,
कर रहे इस का अध्ययन।
अहो भाग्य होंगे हिन्दी के
अगर राजभाषा में करें कार्य गर्व से।