प्यार ही प्यार कीजिए
प्यार ही प्यार कीजिए
इतनी नफ़रत तो लाज़मी है
हो सके तो और दीजिए
प्यार जो काबिज़ है दिलों में
जाहिर होने न दीजिए।।
मगर पीठ पीछे से वार
मजा न आता ज़नाब
हमेसा खाली हाथ हूँ मैं
सामने से वार कीजिए।।
शायद बचना चाहते हैं
बेनक़ाब हो जाने से
खूब जानता हूँ आपको
मेरा यकीन तो कीजिए।।
हाजिर हर वक्त रहूँगा
हजार नफ़रत के बाद
बहाने बदनाम करने का
और भी इजात कीजिए।।
ज्वाला हूँ जलने का जिद्द
शुक्रिया कह दूँ आप को
बुझ न जाऊं मैं कहीँ
रोज जलाया कीजिए।।
एक मशविरा मान ले मेरी
जरा झांकिए अपने अंदर भी
ईर्षा द्वेष भेद घृणा भाव छोड़
सिर्फ़ प्यार ही प्यार कीजिए।।
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