पसंदीदा भोजन।
पसंदीदा भोजन।
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मेरा पसंदीदा भोजन,
होता था राजमाह, कड़ी और चावल,
हर रविवार को मां बड़े प्यार से बनाती,
और सारा परिवार इकट्ठे बैठ के खाता।
ये रिवाज,
जब से होश संभाला,
चलता रहा,
मां के इस दुनिया के जाने तक,
और मेरा डायबेटिक हो जाने तक।
रविवार को ये खाना,
हमारे परिवार में कोई नहीं छोड़ता था,
सब इकट्ठे बैठ के खाने का मज़ा ही कुछ ओर था।
अब तो न मां न बाप,
और कई खेमों में बंट गया उनका परिवार,
लेकिन ये हमारे अंदर कुछ ऐसा रचा बसा है,
जब तक न ये हो,
रविवार का मज़ा ही किरकिरा है।