पर्वत
पर्वत
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दृढ़ अडिग अटल खड़ा
पर्वत देता हमको सीख।
मुश्किल चाहे कितनी भी
नही बनो कभी अधीर।
जड़ी बूटी से सजी हुई,
बनती सबके लिए उपयोगी।
पर्वत से निकलते जल,
जब हो जल का सोता फूटे।
छूता नभ को उच्च शिखर,
जतलाता है हमको।
अडिग रहो अगर कर्मपथ पर,
छू सकते हो नभ को।
पर्वत पर हरियाली छाई,
देती है ये एहसास।
कितना भी ऊँचा उठे,
विनम्रता बनाती हमें खास।
पर्वत सा बनाएं अपना व्यक्तित्व,
गगन को छू सके हमारा कृतित्व।