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Diwa Shanker Saraswat

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Diwa Shanker Saraswat

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प्रथम प्रेम पत्र

प्रथम प्रेम पत्र

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कैसे शक्य, क्षत्रिय कन्या

लिखे पत्र प्रेम का

मन में बसे

प्रियतम आराध्य को


वरतीं आयीं निज अनुसार

पति मन में बसा

देख स्वयंवर सभा में

क्षत्रिय राज कुमारियां


निज चाहत लिख खत

किया किसने अभी तक

अज्ञात प्रिये मुझको

क्या मैं ही पहली नारी


धर्म शास्त्रों के ज्ञाता

लिखे मनु ने

विवाह प्रकार अष्ट

न उत्तम सभी


कन्या रुचि न विचार

विवाह नहीं ब्रह्म

क्यों सर्वश्रेष्ठ

निकृष्ट कैसे कम

आसुरी विवाह से


सुन गुण मुनियों से

उठी उमंग प्रेम की 

मधुसूदन, प्रेम में आपके 

विदर्भ राज दुहिता के 


भाई की जिद 

बहन ब्याहे चेदि कुमार से

गुणों में हीन 

लंपट शिशुपाल संग 


ब्रह्म विवाह सर्वोच्च 

अनुरूप कन्या हेतु 

विचारते अनुरूप वर

अभिवावक कन्या से पूछकर


रुचि कन्या की अवहेल 

प्रेरित स्वार्थ से

निज हित साधन 

विवाह क्या कम कन्या बिक्री से 


लिखती प्रेम खत 

कुमारी अभागिनी 

आओ प्रियधन 

अपनाने प्रेयसी को


अक्षर त्रुटि अनेक 

मन प्रेम पढ़िये  

आइये अपनाने 

दासी रुक्मिणी को 


प्रेम हित लगाते दाग 

सुने अनेकों चरित 

अनुरोध करती 

कन्या हरण का 


विवाह कन्या हरण बाद

बताया आसुरी विवाह 

निकृष्ट की ख्याति पाता 

याचिका आज द्वारिका नाथ से

अपना वह रीति 

करो सफल प्रीति 

विवाह ब्रह्म सम 

मान इठलाये 

नीच रीति विवाह की 


न सुन अनुरोध 

आये न प्रेमधाम 

छवि रख श्यामल मन में 

तज जगती 

करूंगी प्रतीक्षा प्रियतम 

लीला संवरण की

मिलन तो होगा 

प्रेमी और प्रियतम का

भक्त और भगवान का 

यहाँ हो या हो वहाँ 



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