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Nalanda Wankhede

Others Tragedy

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Nalanda Wankhede

Others Tragedy

परिपाटी

परिपाटी

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ग़रीबों के जलते हैं चूल्हे सिसकियाँ ले लेकर

चूल्हे अमीरों के नशे में, थिरकते थरथराते हैं


झरोखों से ग़रीबों के निकलता हैं गुब्बार का धुआँ

मकान से अमीरों के सफेद धुओं के छल्ले निकलते है


भूख से चिपक गया सिलबट्टे सा ग़रीब का पेट

भारी भरकम पेट से अमीरों की पीठ तुलती रहती है


ग़रीब का शरीर न हुआ, हो गया पायदान बोझ का

हाथ से अमीरों के फूल सी हवा भी बोझिल हो जाती हैं


रूखी सूखी ग़रीब की रोटी न पैर न सिर

धरती की परिपाटी अमीर की दावत है


खाई जो है बीच दोनो के पाटने के नाम नहीं ले रही

अजगर सी निगलने को तैयार बैठी बीमारी है




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