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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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प्रेम का यह व्याकरण

प्रेम का यह व्याकरण

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प्रेम के इस गाँव की कैसी प्रथायें, क्या लिखूँ ।

रात-दिन अपने हृदय की वेदनायें क्या लिखूँ ।।


मूक अधरों को समझ ले जो हटाकर आवरण ।

बस वहीं समझे जटिलतम प्रेम का यह व्याकरण ।

प्रेम के सौंदर्य की कितनी कलायें क्या लिखूँ ...

प्रेम के इस...........।।


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