प्रेम का यह व्याकरण
प्रेम का यह व्याकरण
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प्रेम के इस गाँव की कैसी प्रथायें, क्या लिखूँ ।
रात-दिन अपने हृदय की वेदनायें क्या लिखूँ ।।
मूक अधरों को समझ ले जो हटाकर आवरण ।
बस वहीं समझे जटिलतम प्रेम का यह व्याकरण ।
प्रेम के सौंदर्य की कितनी कलायें क्या लिखूँ ...
प्रेम के इस...........।।
