प्राकृतिक सुन्दर्य
प्राकृतिक सुन्दर्य
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धरा हरित अम्बेर नीला ,मद्धम मद्धम पवन चले
देख वसंत का मौसम आया आज धरा पर दीप जले
खेतों में फसलें लहराई देख बाग में फूल खिले
खग मृग सब मस्त हुए है पँछी सारे आन मिले
अम्बर नीला धरा हरित गुदनो औऱ गुलनार खिले
चंप्पा चमेली मोगरा जूहीँ औऱ कचनार खिले
खग मृग झूमे पँछी गाते कोयल तान सुनाती है
आज धरा की छटा अलौकिक मन को मोह ले जाती है
खेत खेत मे फसलें महकी हर्षित सभी किसान हुए
कभी यही बीहड़ लगते थे आज हरे मैदान हुए
मन को मोहित करनी वाली छटा धरा की न्यारी है
स्वर्ग से सुंदर मन के अंदर लगे धरा हमारी है।