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manish shukla

Others

5.0  

manish shukla

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पल

पल

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यादों के किसी कोने में

छिपे हैं जो पल

भीड़ में

दिखता नहीं कोई अपना

तब याद आते हैं आजकल


ये पल कहते हैं कहानी

कुछ अपनी

कुछ बेगानी

अपने हर पल की ख़ुशियाँ

सांसें दे जाती गईं है एक क्षण

बेगाने पलों की तन्हाईयाँ

मिटा देती है रिश्तों की तलब


दोस्तों की याद दिलाते हैं

हर ग़म में मुस्कराते हैं

जो गुजर चुके है लम्हे 

आँखें नम कर जाते हैं

ये पल 

यूं ही सजाते रहो

हर पल तुम मुस्कुराते रहो

रह जाएंगी यादें

फिर याद आएंगे ये पल... 



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