पीड़ा
पीड़ा

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तुलसीदास का किस्सा
सच्चा लगता है।
उनके जीवन का हर
हिस्सा अपना लगता है।
अनगिनत पीड़ाओं में
तपा व्यक्ति ही
ऐसा कर सकता है।
दुनियादारी को समझ ही
"रामचरितमानस"
लिख सकता है !