फैशन
फैशन
जब से चला विदेशी फैशन,
देश का बंटाधार हुआ।
मलमल जीन्स पहनते सारे,
सूती खादी नहीं छुआ।।
निज वैभव को दिखाने में हम,
आज बहुत मदहोश हुए।
फटे चीथड़े पहन अंग दिखलाए,
देखो अपने सब छिपे हुए ।।
मेकअप इतना करे पसीना,
हिजड़ो को भी आ जाए।
कन्धे तक रख बाल चले जो,
कर्णधार है कहलाए।।
निज संस्कृति सभ्यता त्याग,
औरों की जो अपनाते।
उनका कुछ भी ना रहता,
वो दीन हीन हो जाते ।।
औरों सा दिखने के खातिर,
धन हित कुकर्म अपनाते।
खुद तो होते बर्बाद स्वयं,
कुल का भी मान नसाते ।।
खुद की पहचान बना प्यारे,
अनुकरण महापुरूषों का कर।
ईश्वर बुजुर्ग गुरुजन सबकी,
आज्ञा का हंस कर पालन कर।।