नोटबन्दी : आल्ह/वीर छंद
नोटबन्दी : आल्ह/वीर छंद
आई घड़ी बहुत प्रलयंकर, मचा हुआ है हाहाकार ।
काला धन रखने वालों का, धन हो जाएगा बेकार ।
नोट पाँच सौ और हजारी, दिखते लेते अंतिम साँस ।
मोदी जी ने अजब अड़ा दी, यारों कल कातिल सी फाँस ।
गंगा यमुना में दिखती है, बहती अब नोटों की लाश ।
धनपति और कुबेर व्यथित हैं, लगता निश्चित उन्हें विनाश ।
कल्लू के नोटों के बंडल, में निकले हैं कई हजार ।
मगर उसे ले जाकर उसने, दिया बैंक में आज उधार ।
ब्याज सहित कल हो जायेंगे, उसके रूपये मानो लाख ।
बढ़ जायेगी कल्लू की भी, अपनी दुगनी तिगुनी साख ।
लेकिन जिनके घर में रक्खे, रूपये यारों लाख करोड़ ।
उनके पेटों में गुड़गुड़ है, और मचा है पेट मरोड़ ।
काला धन बेकार समझिए, मुश्किल में है काला माल ।
आज हवाला के व्यापारी, घूम रहे हैं खस्ता हाल ।
नेता जी की टोपी दिखती, आज देश में साफ़ लिबास ।
प्रथम बार सत्ता का सैनिक, नही किसी का दिखता दास ।
नोटों की माला क्या पहनें, नोट हुए जब रद्दी माल ।
आज नहीं खरगोश हारना, कछुआ भूला अपनी चाल ।
मोदी की हुँकार देखकर, भूले सब काला ब्यापार ।
आतँकी बेकार हो गए, देख देशव्यापी तलवार ।
जब भी कोई युद्ध हुआ है, सबने झेली थोड़ी मार ।
मगर देश ने कभी न मानी, दुश्मन से बिल्कुल भी हार ।
फिर जब भ्रष्टाचार मिटाने, को छेड़ा भारत ने युद्ध ।
क्यों कुछ लालच के वाशिन्दे, खड़े हो गए देश विरुद्ध ।
क्या लाचारी आई उनको, जो भूले गीता का मर्म ।
कर्मक्षेत्र में आज निशाने, पर बैठा न्यायोचित कर्म ।
जिन लोगों ने आज तलक कुछ, किया नहीं वो हैं बेहाल ।
कालेधन पर कैसे चल दी, मोदी जी ने ऐसी चाल ।
वोट बैंक के वाशिन्दे भी, आज सियासत करते खूब ।
देख रहे हैं अपनी पूँजी, होते केवल सूखी दूब ।
आज आयकर नहीं दिया तो, जाना होगा उनको जेल ।
वर्षों की कर चोरी वाला, हो जाएगा तिकड़म फेल ।
अगर देश की आन अड़ी हो, तो दे देंगे अपनी जान ।
मगर नहीं मिटने हम देंगे, इस भारत का गौरव गान ।
हम भारत की जनता हमको, आज समझना आता खूब ।
हमें पता है कभी हमारा, पैसा नहीं सकेगा डूब ।
हमको भड़काने जो आया, उसको देंगे सही जवाब ।
भारत के हित में जो भी है, हम हैं उसके साथ जनाब ।
काला धन सारा रद्दी है, केवल इतना सच है यार ।
बाकी की बातें कल की हैं, अब तक हैं केवल बेकार ।।