निर्भया
निर्भया
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सात साल इन्तजार के बाद
एक माँ को मिली राहत
देख जिन्दा! बेटी के गुनहगारों को
दिल के उसको कितनी
पहुँचती होगी आहत
एक माँ ने बेटी को खोया
हृदय विदारक चीख सुन
मातृत्व कितना रोया
बेटी को इन्साफ़ दिलाने
कितने ही संघर्षों से गुजरी
तारीख पर तारीख बदली
वकील बदले, जज बदले
पर माँ की दृढ़ता नहीं बदली
वो इन्साफ़ की गुहार लगाती
दरिंदों को देख बेटी की
देह याद आती
अश्रु आँखो में मेरे भी आये
वो तो एक माँ है
उसकी हाय से वो कैसे बच पाते
"निर्भया" कहीं दूर से देखती होगी
माँ के प्यार को महसूस करती होगी
उसकी भी रूह कुछ हल्की हुई होगी
"दुर्गा "बन किसी माँ की कोख में
तब्दील हुई होगी....
