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FORAM. R. MEHTA

Others

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FORAM. R. MEHTA

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"नहीं रखते"

"नहीं रखते"

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किसी को खुद के पास नहीं रखते,

सागर कभी बूंदों की आस नहीं रखते।


जीवन में हमें समझ पाओ तो याद रखना,

मेरे साथी हम अपनों में कभी हिसाब नहीं रखते।


सभी को है उम्मीद हम से साहब,

देकर कुछ भी हम वापस नहीं रखते।


क्या करें दिल में है सच्चाई रुह में अच्छाई, 

दिल से रखते हैं संबंध स्वार्थ से नहीं रखते।


लोगों की मर्जी और निर्णय भूल जाए हमें, 

मतलब के लिए हम कभी ताल्लुक नहीं रखते।


अजीब जीवन का सफर है,

खुशनसीब है वो जिनके साथ हमसफ़र है।


जिस खुशियों पर आप इतराया करते हैं,

दुआएं और कर्ज का मेरे असर है।


स्वार्थी लोगों के बीच अभी,

बिताना हमें यह जीवन जो नश्वर है।



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