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Sangeeta Ashok Kothari

Children Stories

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Sangeeta Ashok Kothari

Children Stories

नादान परिंदे

नादान परिंदे

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ना चिंतन ना चिंता ना ही सिर पर कोई बोझ था,

नादानियाँ, हुड़दंग, मस्ती अठखेलियों का मोड़ था,

अमीर, गरीब ना देखें दोस्ती बस शरारतों पर जोर था,

धर्म, रंग, आयु की राजनीति से दूर युग कुछ और था,

मासूमियत के सोपान पर ज़िन्दगी जीने का आगाज़ था।।


अतीत वाला बचपन अब यादों का ज़खीरा बन गया,

उन्मुक्त, स्वच्छन्द, बेखौफ़ वो दौर ही चला गया,

निश्चिन्तता छोड़ अब चिंताओं के सागर में हैं डूबा हुआ,

कुंठा, हताशा, निराशा, आक्षेपो का जीवन में हैं जमावड़ा,

वो मासूमियत, निश्चिछता, आह्लदपन मोबाइल डकार गया।।



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