मन है या वन
मन है या वन
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थोड़ा लिखूं या पूरा
समझ में नहीं आता पूरा
अजीब सा वन है यह मन
निकल नहीं पा रहा पूरा
फँसता चला जा रहा हूं ,
पर जीतने का उम्मीद है पूरा
कोशिश ही ना आखिर कर
सकता हूं !
भगवान थोड़े हूं जो सब कार्य
करूँ पूरा
लेकिन ,सामर्थ्य है
एक दिन ग़लतियाँ सुधार
खुद को कर लूंगा पूरा !!
जीवन है तो भट्टी भी होगी
जलना भी होगा
तपना भी होगा
तब जाकर अस्तित्व
होगा पूरा...
थोड़ा लिखूं या पूरा
समझ में नहीं आता पूरा ....