मेरी तन्हाई
मेरी तन्हाई
मेरी तन्हाई वाकिफ है मेरे हर एक राज से।
आखिर मेरी सबसे वफादार हमराह है ये।
खुशियों की बज़्म में भले ही न हो शामिल।
गम में बहे हर एक अश्क की गवाह है ये।
छोड़ देती है मेरा साथ जब तू पास होती है।
पर जुदाई में गुलशुदा दिल की पनाह है ये।
हमसफ़र बदल लेते हैं अपनी राहें अक्सर।
जब और रास्ते बंद हों तो अकेली राह है ये।
अफ़सुर्दा दिल जब महव-ए-यास रहता है।
तस्सवुर में तेरे तबस्सुम से भरी चाह है ये।
लोग साथ छोड़ देते हैं यूँ छोटी सी बात पर।
नाशाद जीस्त को सुकूँ देती आरामगाह है ये।
नाकाम इश्क़ पे दुनिया अक्सर हँसा करती है।
आशिक के ग़मों से इख़लास रखती आह है ये।
दिल तोड़ने से बड़ा गुनाह तो कुछ और नहीं।
गुनहगारों की दुनिया में अकेली बेगुनाह है ये।
मेरी तन्हाई के अल्ताफ़ का हिसाब ही नहीं।
असली इश्क़ करती बे-ग़रज़ बे-पनाह है ये।
