मेरी मैम
मेरी मैम
रौबदार आवाज तले, तब
नवोदय मेरा रहता था
उनके ओजस्वी शब्दों संग
दिन का पहिया चलता था
बड़ी बड़ी आँखों से घूरती
जब गलतियां हम करते
मै उन सौभाग्य वालो में से थी
जिनपे उन आँखों से प्रेम बरसे
निकलती थी जब राऊण्ड लेने
चिड़िया चू भी ना कर पाती थी
शिक्षक बच्चे सब अनुशासित
ऐसा सुदर्शन चक्र चलाती थी
पैनी नजर, पारखी आँखे
दूरदृष्टि, प्रभावी बाते
हसती तो विद्यालय गूंजता
गुस्से में कांपती हर राहें
ढाल थी हमें बनाने सबल,
शिक्षा का देने दान अटल
की मिला सके आधुनिकता से आँखे
रख साथ में संस्कार प्रबल
दीदार पहला हुआ जो दिन
मै कुछ सहमी घबराई थी
उन कड़क बातो को माना चुनौती
पहले दिन ही, लड़ना वो सिखलाई थी
जान नहीं आत्मा थी
हम छात्राओं के लिए आजाद सोच
उड़ने को देती आकाश खुला
और नीव से बांधती विश्वास की डोर
गिरी होश खो कर उनकी गोदी
उनने ममता का रस पिलाया था
धीरे से उन आँखों में
प्यार मेरे लिए झलक आया था
गरज के सबसे लड़ जाती थी,
गर बच्चो का हक़ छिना जाये।
हम ग्रामीण बच्चो को उत्कृष्ट शिक्षा,
हर कोशिश करती कि मिल पाए
बात नहीं बस आदर की, पूज्यनीय महान है
कल भी थी और आज भी हमारी
शिक्षिका नवोदय की जान है
गढ़ती गई कई छात्र छात्राये
मार्गदर्शन अनुशासन का ताना बाना
कड़क गुस्सा डांट के लिए जो जानी जाती
अब आपको सच्चे सांचे की तरह जाना
मै शिष्या हूं शब्द अधूरे मेरे,
जानती हू आप पूरा इन्हे समझ जाओगी
सामने से ना कुछ मै कह पाऊ
आप तब भी हिय से लगाओगी
और सुनूंगी आपके मुख
वही पुरानी आपकी रचना
जिसने दी उर्जा हमे
और बनी हमारी, सदा प्रेरणा
कल्पना कल की सुखद ले
सीख ले इतिहास से
नव सृजन की कल्प लेकर
बढ चलो विश्वास से।
पंक्तिया सजती चली जाएगी, बहेगी आपकी महिमा अविरल
अतः कर प्रणाम आपके चरण, कहना चाहू थैंक्यू टीचर।