मेरी चदरिया
मेरी चदरिया
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सइयाँ कौन
ठौर मैं जाऊँ
मैली हो गयी
मेरी चदरिया
ओढ़त मैं शरमाऊं
सइयाँ कौन
ठौर मै जाऊँ
तेरी मैंने बात न मानी
करती रही अपनी मनमानी
हो गयी मुझसे नादानी
सइयाँ कौन
ठौर मैं जाऊँ
मनवा के चाहे होत नहीं है
दुनिया मनवा के वश में नहीं है
फिर मनवा काहे रोवत है
सइयाँ कौन
ठौर मैं जाऊँ
दुनिया के भावे भवन अटरिया
मोको भावे सूरत सावंरिया
दुनिया कहे हुई मैं बावरिया
सइयाँ कौन
ठौर मैं जाऊं