मेरे पापा
मेरे पापा
जिस घर में आप हो पापा
वो घर नहीं स्वर्ग है अपना
जेब में पैसे न होकर भी
पूरा करते हैं हमारा सपना।
चारपाई कुर्सी पर हमें बैठा कर
खुद पकड़ लेते घर का कोना
सर पर छत आपकी हो तो
क्या धन और क्या चांदी सोना।
गुस्से में जब हो डांट लगाते
डबडबी सी हम आंखें बहाते
खुद को अफसोस दिला कर पापा
गोद में उठा कर खुद ही सुलाते।
बाजार को जब जाते हैं आप
खिलौने के लिए आवाज लगाते
इंतजार में जब होती शाम
आप आके सारा दिन भुलाते।
कितनी मेहनत आप हैं करते
समझ न पाते हम नादान बच्चे
उठा जिम्मा और घर का खर्चा
चुका ना पाएंगे कभी ये कर्जा।