मेरे झूठों का सच
मेरे झूठों का सच
"मैंने नहीं किया "
मेरा पहला झूठ था माता -पिता से
खुद को बचाने उनके गुस्से से, थप्पड़ से
"मैंने नहीं किया "
मेरा दूसरा झूठ था समाज से
खुद को बचाने उनके बनाए नियम -कायदे से,
बेशर्मी की ईंट से बनी उनकी खोखली सीमाओं से
"मैंने नहीं किया "
मेरा तीसरा झूठ था,तुम से
खुद को बचाने प्यार से, इकरार से
उसमे छिपे असीमित दर्द की चुभन से,
ख्वाहिशों में लिपटी उम्मीदों को बिखरने से
पर अब इन्ही बिखरी उम्मीदों को अपनी प्रीत में पिरोकर,
मोतियों की माला तुझे पहनाकर
तेरे प्रेम के सागर में डुबकी लगाकर,
दुनिया भर की हिम्मत जोड़ संग तेरे
विश्वास की छलांग लगाकर
"मैंने प्यार किया "
मेरा पहला और आखिरी सच कहा है खुद से, उस खुदा से
खुद को बचाने बिन तेरे उखड़ती साँसों के काले घेरे से।