मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र
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महताब को है ख़्वाहिश आइना खाना होना
आफ़ताब ऐ परिस़तिश से सितारों का जुदा होना
आसमान की जऩऩतों में नुक्ता नज़र हो तुम
देखें तेरी चाहत में क़या क़या लिखा हे होना
आमद तेरी हँसी से दौरे सुबह का होना
फूलों का खिलखिलाना महविश का टिमटिमाना
फिरदौसे मिलकियत क़यों न हो तुम
लिखे मेरा खुदा किस़मत मे तेरा होना
मेरा दीन इबराहीमी मेरी ज़ात बऩदगी है
जऩऩत का मुझसे वादा ये बात लाज़मी है
बदले मे क़यूं न मांगू अल़ल़ाह से तुमको
सजदों का मेरे देखूं कितना असर हे होना
जावेदा ज़िऩदगी किसको हुई है हासिल
इक़बाल बुलऩद उसका जिस़को इल़म हासिल
जो बदले निज़ाम अल़ल़ाह ऐसा करना तुम
मैदाने हशर मे भी तुम मेरे साथ होना
