मेरा गाँव
मेरा गाँव
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पर्वतीय है वो गाँव, प्रकृति देती है छाँव,
सुकूं भरा हर ठाँव, पर्ण-पर्ण हर्षा रहे।
संदली बहे बयार, झंकृत होते सितार,
हर दिन ही बहार, हर्षित हो मेघ बहे ।
दो बैलों का जोड़ा वहाँ, मालिक उनका जहाँ,
घूमे संग कहाँ-कहाँ, बातें मन की है कहे।
दिखे शांति हर द्वार, शुद्ध हवा उपहार,
नहीं है शोर की मार, सादगी से सब रहे।