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vartika agrawal

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vartika agrawal

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मेरा गाँव

मेरा गाँव

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पर्वतीय है वो गाँव, प्रकृति देती है  छाँव,

सुकूं भरा हर ठाँव, पर्ण-पर्ण हर्षा  रहे।


संदली बहे बयार, झंकृत  होते  सितार, 

हर दिन ही बहार, हर्षित हो मेघ  बहे ।


दो बैलों का जोड़ा वहाँ, मालिक उनका जहाँ,

घूमे संग  कहाँ-कहाँ,  बातें मन की है कहे।


दिखे शांति हर द्वार, शुद्ध हवा  उपहार, 

नहीं है शोर की मार, सादगी से सब  रहे।



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