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Mani Aggarwal

Others

5.0  

Mani Aggarwal

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मौन व्यथा

मौन व्यथा

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पतझड़ के सूखे पेड़ो पर

लिखी है जो खामोश कहानी

उससे मेरी प्रीत पुरानी…


कर सोलह श्रृंगार सजी और

पीत चुनर में धरा लुभानी

काम पुत्र के स्वागत हेतु

वात भी देखो हुई सुहानी

पिया विरह में हुई जो पीली

वो नाजुक सी एक दीवानी

उससे मेरी प्रीत पुरानी…


बढ़ी उष्णता दिनकर की और

लू ने अपनी नजरें तानी

व्याकुल गर्मी से राहत को

शीतलता की खोज पुरानी

प्रीत बिना शीतल काया को

जब दहकाये आँख का पानी

उससे मेरी प्रीत पुरानी…


रिमझिम-रिमझिम मेघा बरसे

हर्षित हृदय करे मानमानी

नाचे मोर, पपीहा बोले

और कु‍हके कोयल मस्तानी

वर्षा जल से जब-जब धोई

प्रेम ने वेदनाओं की निशानी

उससे मेरी प्रीत पुरानी…


हल्की सी सिहरन ले कर

शरद ऋतु पर आई जवानी

रास करें कान्हा के संग में

निधिवन बरसाने की रानी

आस मिलन की राह निहारे

छुपा हिय की करुण कहानी

उससे मेरी प्रीत पुरानी…


घना कुहासा औ ठंड लेकर

शीत ऋतु आई पहचानी

रटे गोपाला दिन और रैना

जहर पिये मीरा दीवानी

सूनी सेज दहकती ज्वाला

फिर भी जिसने हर ना मानी

उससे मेरी प्रीत पुरानी…



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