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Hem Raj

Others

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मैं तो जनता हूं जनाब

मैं तो जनता हूं जनाब

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मैं तो जनता हूं जनाब,

पन्ने दर पन्ने की खुली किताब,

मुझे पढ़ने का देते हैं सभी सुझाव,

जो पढ़े न मुझको उसे देती हूं जवाब

घटना के बाद फिजूल है हिसाब किताब,

मैं तो जनता हूं जनाब।

मेरे भी तो है कुछ ख्वाब।


समझ नहीं आते सत्ताधीशों के ख़्वाब,

 भीगी बिल्ली वोटों को, कुर्सी पे रुआब,

 मेरी हाट के सौदे का, मुझे ही बताते भाव,

 फिर तो मुझे भी आता है, देना भाई जबाव,

 मैंने भी तो देखे हैं ,पड़ावों पर आते पड़ाव,

  मैं तो जनता हूं जनाब।

  मेरे भी तो है कुछ ख्वाब।


भोली हूं मैं, कुछ बहुत ही ज्यादा साहब,

मुझ पर खेले हैं, कई शकुनी मामाओं ने दाव,

सबका बारी - बारी से, मैंने पूरा किया है चाव,

मेरी ही धौंकनी से, मिला है सबको सदा से ताव,

फिर भी न जाने क्यों? करते नहीं है मेरा बचाव?

मैं तो जनता हूं जनाब।

मेरे भी तो है कुछ ख्वाब।


मैं कहां कहती हूं? कि जश्न जीत का न मनाओ,

बल्कि मुझे भी जश्न ए जीत में चाहो तो बुलाओ,

मैं कहां कहती हूं? कि तुम भूखे रहो न खाओ,

मैंने कब कहा? तुम अपनी उपलब्धियां न गिनाओ,

पर साहेब, मुझ पे ही सवार हो, मुझे ही तो न भुलाओ,

मैं तो जानता हूं जनाब।

मेरे भी तो है कुछ ख्वाब।



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