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Hemant Kumar Saxena

Others

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Hemant Kumar Saxena

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मैं क्यूँ पराई हूँ बापू

मैं क्यूँ पराई हूँ बापू

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एक सवाल मेरा है बापू आपसे,

जवाब मुझे आप दे देना, 

रूप रंग और सुन्दरता से,

मैं तुमसे ही मिलती हूँ,

आपके आँगन की कली होकर मैं,

क्यूँ दूसरे आँगन मैं खिलती हूँ,


स्कूल, काँलेज, विघालय में,

नाम सदा तुम्हारा मिला,

आज पराई होकर में ,

क्यूँ नाम पति का लिखती हूँ,

आपके आँगन की कली होकर मैं,

क्यूँ दूसरे आँगन में खिलती हूँ,


पिता तुम्हारी लाडाे हूँ मैं,

तो क्यूँ आपने पराया कर डाला,

कल निकलती थी आपकी गली से,

आज पति गली से निकलती हूँ,

आपके आँगन की कली होकर मैं,

क्यूँ दूसरे आँगन में खिलती हूँ,


कल रंग सुबह का था आपसे,

शाम आपसे ढलती थी,

आज सुबह पति से होती,

शाम पति रंग ढलती हूँ,

आपके आँगन की कली होकर मैं,

क्यूँ दूसरे आँगन में खिलती हूँ...


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