मैं करूंगा इंतजार
मैं करूंगा इंतजार
सुनो शिकायतों !
रात-रात भर रोती हो ना तुम ?
लो ! आज मैं तुम्हें आजाद करता हूँ
नहीं कहूंगा तुझसे कुछ भी
निकल जाओ
मेरे नाजुक
मखमली अहसासों के पिंजरे से,
कथित हत्यारे बंदिशी स्नेह से
विमुक्त हो कर
हो जाओ वैयक्तिक
आज से, अभी से
खुरच कर दफन कर रहा हूँ
अपनी तमाम सम्वेदनाओं को,
जो अपनी कोयलिया आवाज में
मुझे जीवन राग सुनाती थी,
नैराश्य के बियाबान में
आस का दीप दिखाती थी।
जाओ पंछी !
अब नहीं दूंगा तुम्हें आवाज,
फर-फर नाजिया पंखों से
भर लो अपनी उड़ान,कर लो कैद
अपने हिस्से के आसमाँ को,
अब नहीं रोकूंगा सच में।
पर हां,
मैं इसी देहरी पर
करूंगा इंतजार
ठिठुरती साँसों में
गर्माहट लौटने का।