मैं हिन्दू वो मुस्लिम....!
मैं हिन्दू वो मुस्लिम....!
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मैं गीता सा पवित्र हुँ...
वो क़ुरान सी निर्मल है...
मैं दीवाली की चाँदनी रात...
ओ ईद का चाँद है...
हम दोनों के संगम में...
है खुशियाँ अपार...
मैं मोहब्बत की जबां उर्दू...
वो कोरा सा ख़्वाब है...
मैं मंदिर की आरती...
वो मस्ज़िद की अजान है...
मैं उसकी जान...
वो मेरी जान है...
मैं हिन्दू वो मुस्लिम...
दोनों इंसान है...
क्या राम क्या अल्लाह...
सब एक ही पहचान है...
ना वो नादान है...
ना मैं नादान हुँ...