मानव मात्र
मानव मात्र
1 min
220
मानव मात्र को ये बात मन में गुनना होगा
आपस में सबको हो मिलना जुलना होगा !
मन को आईना बनाया तो लोग पावन मिले
साथ ज़िम्मेदारी निभाने के कई साधन मिले !
चरणरज फेंके हृदय से तो हृदय सुमन खिले
मन के मिलन से हृदय के बंद सारे पाट खुले !
तभी तो संगम दो शरीर और आत्मा का मिले
तुम हम से मिलो और तब हम जगत से मिले !
ह्रदय की सुन्दरता ऐसी हो जो प्रतिपल खिले
ढूंढ़कर हैरान हो गए पर दर्पण कहीं ना मिले !
बच्चों की ज़िद पर आ बैठे सुकून मिला नहीं
सामने बैठा शख्स कभी खुद से मिला ही नहीं !