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Dr. Akshita Aggarwal

Children Stories Fantasy Others

4  

Dr. Akshita Aggarwal

Children Stories Fantasy Others

मांँ

मांँ

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पूरी दुनिया तो होती है अंजानी-सी,

बस एक जो सबसे पहले और 

सबसे ज़्यादा लगती है अपनी-सी। 

वह होती है माँ। 

होती है अनोखी,

जिसकी हर कहानी।

जिस के साए में, 

बच्चे कर सकते हैं,

जी भर के मनमानी।

होती है जो, 

सबसे ज़्यादा सयानी। 

वह होती है माँ।


जिसकी गोद में ही होता है सारा जहाँ।

वह होती है माँ। 

सबसे अलबेली-सी, 

अनोखी-सी होती है माँ। 

जो पूरी दुनिया में,

हमारी उम्र से 9 महीने ज़्यादा हमें जानती है।

वह होती है माँ।


जो असहनीय पीड़ा सहकर,

बच्चों को जन्म देती है। 

वह होती है माँ। 

जो अपने रक्त को दूध बना,

संतान का पालन-पोषण करती है।

वह होती है माँ।

दुनिया में,

अगर कुछ सबसे अद्भुत चीज़ होती है। 

वह होती है माँ की ममता। 

जिसकी ममता में,

पूरे संसार के प्यार का सार होता है। 

वह होती है माँ।


चाहे हो कितनी भी नाजुक-सी।

पर,

अपने बच्चों के लिए लड़ जाए,

पूरी दुनिया से वह अकेली ही।

वह होती है माँ।


बच्चा जन्म लेने के बाद, 

सबसे पहले पुकारता है जिसका नाम।

वह होती है माँ। 

बच्चे के जन्म के बाद,

बुरी बला से बचाने के लिए,

जो रोज़ याद से, 

अपने बच्चों को काला टीका लगाती है। 

वह होती है माँ।


जिसके हिफाज़त के तरीके से,

भगवान भी हैरान हो जाए।

और 

जो जीते जी अपने बच्चों के लिए, 

धरती पर ही भगवान बन जाए।

वह होती है माँ।


जिससे होती है,

घर में सारी अच्छाई, सारी सच्चाई। 

वह होती है माँ। 

घर का उजाला होती है माँ। 

मंदिर के दिए जैसी,

उज्ज्वल-सी होती है माँ। 

जो चंदन की खुशबू की तरह,

घर महकाए। 

वह होती है माँ।


जो मनुष्य का, 

संसार में पहला और 

सबसे सच्चा प्यार होती है। 

वह होती है माँ।

जिससे संसार में, 

प्यार की शुरुआत होती है। 

वह होती है माँ। 

जिस इंसान का प्यार, 

कभी नहीं बदलता।

वह होती है माँ। 

जिसका प्यार कभी-भी,

किसी-भी तारीख़ का, 

मोहताज़ नहीं होता।

वह होती है माँ।


जिसके मन में हर पल,

सिर्फ़ उसके बच्चे होते हैं। 

बच्चों की परवाह होती है। 

वह होती है माँ। 

बच्चों के मन में, 

जो सबसे ज़्यादा होती है। 

वह होती है माँ।


चाहे जग कुछ भी कहे,

पर 

जो हर पल,

आपके काम की तारीफ़ करे।

जो हर पल,

अपने बच्चों का हौसला बढ़ाए। 

वह होती है माँ।


कभी अंधेरी रात हो जाए।

बेटी को घर लौटने में देरी हो जाए।

तो 

जो हमेशा दरवाजे पर खड़ी मिलती है।

वह होती है माँ। 

जिसके आँचल में ही, 

पूरी दुनिया समाई होती है।

वह होती है माँ।


जो छोड़ देती है अपने सारे सपने।

करने को, 

अपने बच्चे के पूरे हर सपने।

वह होती है माँ।


कभी कोई गलती हो जाने पर, 

जो डाँटती भी है प्यार से। 

वह होती है माँ। 

कभी ज़रा-सा भी बुखार हो जाने पर, 

सारी रात चिंता करे जो,

सारी रात जगी रहे जो,

वह होती है माँ।


चाहे खिला दे खाना,

दिन में कितनी भी बार।

पर 

फिर भी हर पल,

बच्चों के खाने की चिंता करे जो,

वह होती है माँ।


ना जाने क्यों,

जो पढ़ी-लिखी होने पर भी,

थोड़ी-सी अनपढ़-सी होती है। 

एक रोटी माँगने पर भी,

हमेशा ही दो रोटी दे देती है। 

वह होती है माँ।


बचपन में,

मिट्टी में खेल कर आने के बाद भी,

जो बिना महँगी साड़ी की परवाह किए, 

आँचल से अपने मुंह पोंछ दे बिन कहे। 

वह होती है माँ।


सारी दुनिया, सारे जग में, 

जो बेटी की सबसे प्यारी,

सबसे सच्ची सहेली होती है।

वह होती है माँ।


बच्चों का पहला खिलौना होती है जो, 

बच्चों के साथ सबसे पहले खेलती है जो,

वह होती है माँ।

हँसते हुए बच्चे को तो, 

प्यार कर लेते हैं सभी।

पर 

जो रोते बच्चे को भी प्यार कर ले।

वह होती है माँ। 

‘हँसता बच्चा सबका और 

रोता बच्चा सिर्फ माँ का’ 

तभी तो कहती है पूरी दुनिया।


परी जैसी सुंदर होती है जो, 

बिना जादुई छड़ी के भी,

परी जैसी जादूगरनी-सी होती है जो,

वह होती है माँ।

बच्चों के सारे दर्द को,

बस खेल-खेल में भुला देती है जो। 

वह होती है माँ।


अपनी नींद त्याग कर,

बच्चों की अच्छी नींद के लिए,

उन्हें मीठी-सी लोरी हर रात सुनाती है जो।

वह होती है माँ।


ना हो जिसके पास अगर, 

कभी पैसे खूब सारे तो,

स्वप्न-नगरी में, 

पेड़ से चॉकलेट तोड़कर खिला दे जो। 

वह होती है बस माँ।


खुद भले ना पढ़ पाई हो कभी, 

पर बच्चों को पढ़ाने के लिए, 

दिन-रात मेहनत करे जो।

वह होती है माँ।


अपनी बेटी को, 

राजकुमारी की तरह रखे जो।

वो रानी होती है,

बस माँ।

जो अपने लिए, 

कभी कुछ नहीं माँगती अपने भगवान से।

बस जोड़े कभी जो हाथ तो, 

अपने बच्चों के लिए,

दुआ माँगे बस अपने भगवान से।

वह होती है माँ।


मेरी दुनिया है,

बस मेरी माँ। 

मेरे दिल का सुकून है,

बस मेरी माँ। 

मेरी आँखों का सुकून है,

बस तुझे देखना मेरी माँ। 

बस एक ही दुख है कि, 

क्यों इतनी जल्दी बड़ी हो गई मैं माँ?? 

क्यों इतनी जल्दी बड़ी हो गई मैं माँ??

क्यों मुझे एक दिन, 

तुझे छोड़कर जाना होगा मेरी माँ??

जो नहीं समझती बेटी को पराई,

वो एक तू ही तो होती है माँ। 

जो निभाती है जब जग की रीत। 

करके अपनी बेटी की विदाई।

तो, 

सबसे ज़्यादा रोती है जो,

वही तो होती है माँ। 

ना जाने कैसे, 

अपनी बेटी को पराई कर पाती है एक माँ??

इसीलिए तो,

दुनिया में सबसे अलग, 

अनोखी-सी होती है जो,

वह होती है बस माँ। 

जिसके होने से मेरा वजूद है, 

वह है बस मेरी माँ। 

जिसके लिए जितना भी लिख लो,

पर कम ही हो..... 

वह होती है माँ। 

वैसे तो मेरा तेरे लिए प्यार,

किसी भी खास दिन का मोहताज़ नहीं माँ। 

पर फिर भी, 

आज के दिन यह प्यारी-सी कविता,

बस आपके लिए माँ।


हैप्पी मदर्स डे मम्मा

 लव यू सो मच



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