माँ
माँ
अब भी ऐसा महसूस होता है
तू कहीं दूर नहीं यही है आस पास मेरे माँ......
ये नजरें अब भी वैसे ही तुझे ढूंढ
रही हैं तुझे, जैसे पहले ढूँढा करती थी........
अब रुठने पर कौन मुझे मनाऐगा
माँ,कौन मेरी तमाम उलझनों
को सुलझाऐगा माँ
ऐसे क्यों चली गई तू मुझे धोखा
देकर, अनाथ बन गईं हु अब
तेरे प्यार से मैं वंचित होकर........
ऐसे भी कोई जाता है बिन मिले
निकल जाता है, ना तूने मुझे देखा
>
ना ही तुझसे ही मैं, मिल पाई माँ.....
सब तुझे ढूंढ रहे हैं माँ जैसे तू
कहीं से आ जाऐगी, तेरे बिन
यह घर अब सूना-सूना है
ना जाने कहाँ चली गई तू माँ
इतना बुलाने पर भी क्यों नही
आ जाती माँ , क्यों नही दिखती है
तू अब कहीं भी
तेरा अहसास हर वक़्त हमारे
साथ रहता है माँ.......
तेरा प्यार अब आशिर्वाद बन
कर हर वक्त साथ हमारे माँ
पर बिन बताए ऐसे क्यों चली गई तू माँ!